Posted in मेरी फितरत on January 15, 2011|
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लड़की सवालों पे पांव धरकर लड़के तक पहुंचती थी. हमेशा. लड़का रास्ते में ढेर सारे सवाल बिछाता था. छोटे सवाल, बड़े सवाल. मीठे सवाल, कड़वे सवाल. अच्छे सवाल, सच्चे सवाल. दुनिया भर के सवाल लड़के की झोली में होते थे. वो सबके जवाब तलाश रहा था. उसे लगता था कि उसके हर सवाल का जवाब लड़की के पास है. लड़की उन सवालों पर से कूदते-फांदते उन्हें पार करती, मानो सवालों से खेल रही हो.
लड़का दुनिया की फिक्रो-अलम में इस कदर उलझा रहता कि उसे कुछ भी सूझता नहीं था. उसे दुनिया भर की नाइंसाफियों पर गुस्सा आता था. वो पूरी दुनिया को नये सिरे से संवारना चाहता था. एक ऐसी दुनिया जहां इंसानियत बसती हो. जहां, धर्म, सियासत, सत्ता और अर्थ की लड़ाई इंसान को हैवान न बनाती हो. वो लड़की से ही पूछता था कि आखिर वो कुछ कर क्यों नहीं पाता? कोई कुछ कर क्यों नहीं पाता? लड़की खामोश रहती. वो बस लड़के के सवालों पर पांव धरती और लड़के की ओर चल पड़ती.
धीरे-धीरे लड़की के लिए सवालों पर पांव धरकर लड़के तक पहुंचना मुश्किल होने लगा. वो जब भी उसके करीब जाना चाहती, लड़का सवालों का रास्ता बिछा देता. लंबा रास्ता. निर्जन, वीरान, ऊबड़-खाबड़ रास्ता. लड़की उन रास्तों पर चल पड़ती. धीरे-धीरे रास्ते लंबे होने लगे. लड़की कितना भी चले, वो कभी खत्म ही नहीं होते. दूरियां बढ़ती ही जातीं. हर रोज कुछ नये सवाल उन दूरियों को बढ़ा देते. लड़की चलती ही जाती, चलती ही जाती. वो थककर बैठ जाती, तो लड़का फिर से सवाल करता तुम मेरे पास क्यों नहीं आतीं? लड़की कभी कह ही नहीं पाती कि हमारे दरम्यिान सवालों का लंबा रास्ता तुमने ही तो बिछाया है. रास्ता जो खत्म होने को ही नहीं आता. मैं तो चल ही रही हूं न जाने कब से. अब तो मैं सवालों पर पांव धरती हूं तो वे और बड़े हो जाते हैं. कितना भी चलो रास्ते खत्म ही नहीं होते.
लड़की जानती थी कि कुछ सवाल अपना जवाब खुद होते हैं. कुछ जवाब सवालों के अभाव में यूं ही भटकते फिरते हैं और कुछ सवाल जवाबों की तलाश में. सवालों के जंगल से उबरने के लिए बस चलना जरूरी है. लेकिन वो खामोश रहती. लड़की का सफर जारी रहता और लड़के का गुस्सा तारी रहता. एक दिन लड़की ने सारे रास्तों को समेट दिया. पुल बना दिया सवालों का. पुल के लिए उसे कुछ सवाल कम पड़ते, तो लड़के से पूछ लेती कुछ. जवाब के बदले लड़का उसे एक और सवाल पकड़ा देता. लड़की का काम अब आसान होने लगा. वो मुस्कुराकर लड़के से सवाल ले लेती और पुल बनाने में उसका उपयोग करती. उसका पुल पूरा होने को था. दुनिया भर के सवालों को सहेजकर उसने एक दिन पुल बना ही लिया. उस पुल को पारकर जैसे ही वो लड़के के करीब पहुंची, लड़के के सारे सवाल काफूर हो गये…
उन दोनों ने एक साथ सवालों के उस पुल को गिरते देखा…दोनों की आंखों में अब नई दुनिया के सपने एक साथ सजते थे…
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